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एक बच्चा जला देने वाली गर्मी में नंगे पैर गुलदस्ते बेच रहा था  . लोग उसमे भी मोलभाव कर रहे थे। . एक सज्जन को उसके पैर देखकर बहुत दुःख हुआ, सज्जन ने बाज़ार से नया जूता ख़रीदा और उसे देते हुए कहा "बेटा लो, ये जूता पहन लो" . लड़के ने फ़ौरन जूते निकाले और पहन लिए . उसका चेहरा ख़ुशी से दमक उठा था. वो उस सज्जन की तरफ़ पल्टा और हाथ थाम कर पूछा, "आप भगवान हैं? . "उसने घबरा कर हाथ छुड़ाया और कानों को हाथ लगा कर कहा, "नहीं बेटा, नहीं, मैं भगवान नहीं" . लड़का फिर मुस्कराया और कहा, "तो फिर ज़रूर भगवान के दोस्त होंगे, . क्योंकि मैंने कल रात भगवान से कहा था कि मुझे नऐ जूते देदें". . वो सज्जन मुस्कुरा दिया और उसके माथे को प्यार से चूमकर अपने घर की तरफ़ चल पड़ा. . अब वो सज्जन भी जान चुके थे कि भगवान का दोस्त होना कोई मुश्किल काम नहीं.. . खुशियाँ बाटने से मिलती है , मंदिर में नहीं

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